विविध >> जलवायु परिवर्तन का जमीनी चेहरा जलवायु परिवर्तन का जमीनी चेहरासचिन कुमार जैन
|
3 पाठकों को प्रिय 1 पाठक हैं |
हम यह देख रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर गाँव, गाँव की जमीन, संसाधनों और व्यक्तियों पर अब गहराता जा रहा है....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हम यह देख रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर गाँव, गाँव की जमीन, संसाधनों और व्यक्तियों पर अब गहराता जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन की गर्मी को काफी पहले से महसूस किया जा रहा है। 1972 में रियो-डि-जेनेरो में हुये विश्व पृथ्वी सम्मेलन के बाद क्योटो और बाली होते हुये हमारी सरकारें कोपेनहेगेन तक पहुँच गईं हैं।
इन 37 सालों की कवायद के बाद भी कार्बन और मिथेन गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन की गर्मी को काफी पहले से महसूस किया जा रहा है। 1972 में रियो-डि-जेनेरो में हुये विश्व पृथ्वी सम्मेलन के बाद क्योटो और बाली होते हुये हमारी सरकारें कोपेनहेगेन तक पहुँच गईं हैं।
इन 37 सालों की कवायद के बाद भी कार्बन और मिथेन गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book